लेकिन ऐसा लगता है कि बैनिंग कॉक ने ही गेरिट लुन्डेंस नामक डच चित्रकार
से इसी का एक छोटा रूप तैयार करने को कहा था जो अब लंदन की नेशनल गैलरी
में है.
रेम्ब्रेंट की चित्रकारी की यह नकल मूल चित्र के कुछ ही
वर्षों के भीतर की गई थी. लुन्डेंस के चित्र से हमें पता लगता है कि
रेम्ब्रेंट की यह कलाकृति कैसी दिखती होगी.
दरअसल 1715 में रेम्ब्रेंट के चित्र को ऊपर और बाईं ओर से दो-दो फ़ुट तथा नीचे और दाईं ओर से कुछ इंच काट दिया गया था.
इससे चित्र का मूल रूप बिगड़ गया था और पहले किनारे खड़े बैनिंग कॉक और उनका
सहयोगी अब चित्र के ठीक बीच में हो गए थे. इससे चित्र में आगे बढ़ने वाली मूल भावना कुछ खो गई थी.
आज के ज़माने में ऐसा करना अपराध होता लेकिन
तब के दिनों में ये होता रहता था. इस चित्र के साथ यह काम उस समय हुआ जब
इसे नागरिक सेना कंपनी की बैठक वाले कमरे से हटाकर एम्स्टर्डम सिटी हॉल में
नियत स्थान पर लगाया जा रहा था. 1885 में इसे इसकी नई जगह रिज़्स्क
म्यूज़ियम में लगा दिया गया जहां इसके लिए विशेष गैलरी का निर्माण किया
गया.
तो क्या द नाइट वॉच के कारण रेम्ब्रेंट का पतन हुआ? शायद हमें चित्र में
किसी हत्या के षड्यंत्र के संकेतों के बजाय उस समय के डच गणराज्य में लोकप्रिय रही चित्रकारी की एक उपविधा के नियमों पर नज़र डालनी होगी जिससे रेम्ब्रेंट भटक गये थे.
ये नियम सिविक मिलिशिया पोट्रेट या गार्डरूम सीन में दिखाई देते हैं. इनसे हमें अंदाज़ा लग जाएगा कि क्या रेम्ब्रेंट
के मशहूर चित्र से वो लोग नाराज़ हो गए थे जिन्होंने उनसे ये चित्र बनवाया
था.
निश्चित रूप से यह रेम्ब्रेंट की अब तक की सभी कलाकृतियों में सबसे बड़ी
थी और कांट-छांट के बावजूद यह अब भी 12 फ़ीट X 14 फ़ीट (3.65X4.26 मी.) की
है. हालांकि इस चित्रकारी में शोरगुल भरा हुआ है लेकिन चित्र में
वास्तविकता नहीं दिखाई देती, बल्कि एक खालीपन और विचित्रता नज़र आती है.
इसमें
एक कुत्ता भौंक रहा है; ड्रम बजाने वाला अपना बड़ा ड्रम बजा रहा है, बाईं ओर एकदम किनारे पर पीछे देखता हुआ एक लड़का दौड़ते हुए बिगुल ले जा रहा है. एक रक्षक अपनी बन्दूक की नली से छेड़छाड़ कर रहा है, अच्छी तरह तैयार
कैप्टन के पीछे एक अन्य रक्षक की बंदूक से गलती से गोली चल जाती है, जिससे
निकलता धुआं उसके लेफ्टिनेंट की परयुक्त ऊंची टोपी से मिलकर एक अजीब दृश्य
पैदा कर रहा है. दाहिनी ओर एक रक्षक अपनी बंदूक की नली को ध्यान से देख रहा
है. उधर चित्र में कुछ लोग प्रमुख चरित्रों के पीछे धक्का-मुक्की में लगे हैं और बड़ी मुश्किल से दिखाई देते हैं.
बैनिंग कॉक के बाईं ओर ऊपर
की तरफ़ दिखाने वाली आंख ख़ुद चित्रकार की है. जैसा कि बेल्जियम के
चित्रकार वॉन आइक को पसंद था, रेम्ब्रेंट भी पूरे दृश्य में कहीं न कहीं
अपने आप को छाप ज़रूर देते थे.
चित्र में चटक रंगों के सुनहरे कपड़ों
में दिखने वाली और कमर में मरी हुई मुर्गी लटकाए लड़की इस चित्र का हिस्सा
लग भी रही है और नहीं भी लग रही है. दरअसल, एक वास्तविक व्यक्ति दिखने से अधिक वह एक निशान या संकेत के रूप में दिख रही है और मुर्गी या यूं कहें कि
उसके स्पष्ट दिखने वाले पंजे बैनिंग कॉक की क्लोवेनियर्स (या मस्केटीयर्स) नामक कंपनी का प्रतीक है.
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