पाकिस्तान में अगले हफ्ते आम चुनाव होने हैं. जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है, चुनावी सरगर्मियां तेज़ होने लगी है.नेता
अपनी रैलियों में बच बचकर भारत और कश्मीर के मुद्दे पर बोल रहे थे, लेकिन बुधवार को चुनावी माहौल उस वक़्त और गर्म हो गया जब इमरान खान ने जेहलम की
एक रैली में खुलकर कश्मीर और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र
किया.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता इमरान खान ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पाकिस्तान की सेना से डर कर
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शरण में गए थे.उन्होंने नवाज़ शरीफ़ पर कश्मीर के मसले को नज़रअंदाज़ करने का भी आरोप लगाया.
इमरान
ख़ान ने कहा, "भारत में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, नवाज़ शरीफ़ उनसे मिलने गए और उस दौरान कश्मीर की हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के लोगों से
मिलने से इनकार कर दिया."क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ और आसिफ अली जरदारी की तुलना मीर सादिग और मीर जाफीर से की.
उन्होंने कहा "इनलोगों में मीर सादिग और मीर जाफीर में कोई फर्क नहीं है. इनकी वफादारी पैसों से है."
"25
तारीख अहम दिन है. यह मुल्क की तकदीर बदलने का दिन है. यह आसिफ अली जरदारी
और नवाज शरीफ से जान छुड़ाने का दिन है. इनसे जान इसलिए छुड़ानी है
क्योंकि ये आपका का पैसा आपकी मुल्क से बाहर ले कर गए हैं."
इमरान ख़ान ने इन दोनों नेताओं पर देश की सेना को बदनाम करने का भी आरोप लगाया.उन्होंने
कहा, "पहले जरदारी ने अपनी देश की फौज को जलील करने की कोशिश की. वो
अमरीका के सैन्य प्रमुख को कहते हैं कि मुझे फौज से बचा लो, मेरी मदद करो."
"उनके बाद नवाज़ शरीफ़ जब भ्रष्टाचार के मामले में फंसने लगे तो
उन्होंने पहले फौज को बदनाम किया, बाद में मुंबई हमले की जिम्मेदारी देश के
ऊपर ले ली. उन्होंने कहा कि मुंबई में हमने दहशतगर्द भेजे थे."इमरान ख़ान ने विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया कि दोनों ने देश के बाहर के लोगों को खुश करने के लिए देश को बदनाम किया.
पाकिस्तान में अगले हफ्ते आम चुनाव होने हैं. जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है, चुनावी सरगर्मियां तेज़ होने लगी है.नेता
अपनी रैलियों में बच बचकर भारत और कश्मीर के मुद्दे पर बोल रहे थे, लेकिन
बुधवार को चुनावी माहौल उस वक़्त और गर्म हो गया जब इमरान खान ने जेहलम की एक रैली में खुलकर कश्मीर और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किया.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता इमरान खान ने
आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पाकिस्तान की सेना से डर कर
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शरण में गए थे.उन्होंने नवाज़ शरीफ़ पर कश्मीर के मसले को नज़रअंदाज़ करने का भी आरोप लगाया.इमरान
ख़ान ने कहा, "भारत में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, नवाज़ शरीफ़
उनसे मिलने गए और उस दौरान कश्मीर की हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के लोगों से
मिलने से इनकार कर दिया."
उन्होंने कहा कि यह सबकुछ करके उन्होंने अपना फ़ायदा किया और देश को कर्ज के नीचे लाकर छोड़ दिया.
Thursday, July 19, 2018
Sunday, July 8, 2018
почему США обвинили Россию в попытках дестабилизации НАТО
В Соединённых Штатах вновь недовольны Россией. Москва якобы переманивает Турцию из Североатлантического альянса, стремясь «дестабилизировать сильнейший оборонный союз в истории мира». Об этом заявила американский постпред при НАТО Кэй Бэйли Хатчисон. По её словам, с этой целью российская сторона продаёт Анкаре зенитно-ракетные комплексы С-400. Между тем, подчеркнула Хатчисон, Вашингтон сделает всё, чтобы не упустить своего партнёра. Опрошенные RT эксперты отмечают, что речь не идёт о выходе Турецкой Республики из военного блока — страна просто проводит курс на отстаивание своих национальных интересов.
В Соединённых Штатах вновь недовольны Россией. Москва якобы переманивает Турцию из Североатлантического альянса, стремясь «дестабилизировать сильнейший оборонный союз в истории мира». Об этом заявила американский постпред при НАТО Кэй Бэйли Хатчисон. По её словам, с этой целью российская сторона продаёт Анкаре зенитно-ракетные комплексы С-400. Между тем, подчеркнула Хатчисон, Вашингтон сделает всё, чтобы не упустить своего партнёра. Опрошенные RT эксперты отмечают, что речь не идёт о выходе Турецкой Республики из военного блока — страна просто проводит курс на отстаивание своих национальных интересов.
Об этом заявила американский постпред при НАТО Кэй Бэйли Хатчисон. По её словам, с этой целью российская сторона продаёт Анкаре зенитно-ракетные комплексы С-400. Между тем, подчеркнула Хатчисон, Вашингтон сделает всё, чтобы не упустить своего партнёра. Опрошенные RT эксперты отмечают, что речь не идёт о выходе Турецкой Республики из военного блока — страна просто проводит курс на отстаивание своих национальных интересов.
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